दर्द मुझको ढूंढ़ लेता है रोज़ नए बहाने से, वो हो गया है वाकिफ मेरे हर ठिकाने से। - गुलज़ार साहब
मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना, पर ये जो ज़िन्दगी है समझदार किये जाती है। - गुलज़ार साहब
कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल, जब हम बदलते हैं, तुम शर्ते बदल देते हो। - गुलज़ार साहब
इतना क्यों सिखाए जा रही है ज़िन्दगी हमें, कौन सी सदियाँ गुज़ारनी है यहाँ। - गुलज़ार साहब
शायर बनना बहुत आसान है, बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए। - गुलज़ार साहब
याद आएगी हर रोज़ मगर, तुझे आवाज़ ना दूँगा, लिखूँगा तेरे ही लिए हर ग़ज़ल, मगर तेरा नाम ना लूँगा। - गुलज़ार साहब
जब से तुम्हारे नाम की मिसरी होंठ से लगाई है, मीठा सा ग़म मीठी सी तन्हाई है...!! - गुलज़ार साहब